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पीसीओएस में पेल्विक दर्द के कारण एवं उपचार।




PCOS क्या होता है ? पेल्विक दर्द किसे कहते हैं ? पेल्विक दर्द कब होता है? पीसीओएस में पेल्विक दर्द के लक्षण। पीसीओएस में पेल्विक दर्द क्यों होता है? पीसीओएस में पेल्विक दर्द के उपाय।


पीसीओएस महिलाओं में होने वाली एक ऐसी समस्या है जो बहुत सामान्य होती जा रही है। यह महिलाओं के अंडाशय से जुड़ी एक गंभीर समस्या है। पीसीओएस की वजह से महिलाओं में हार्मोनल संतुलन बिगड़ जाता है जिसके कारण उन्हें गर्भधारण करने में मुश्किल आती है । यह समस्या महिलाओं के प्रजनन छमता को सीधे प्रभावित करती है। इसके दौरान महिलाओं के ओवरी में सिस्ट होने एवं हार्मोनल इम्बैलेंस समस्या देखने को मिलती है।


PCOS को कुछ सामान्य लक्षणों से पहचाना जा सकता है :-

  • PCOS को कुछ सामान्य लक्षणों से पहचाना जा सकता है :-
  • मासिक धर्म में अनियमितता आना।
  • अनियमित ओवुलेशन की समस्या का होना।
  • बालों का अत्यधिक झड़ना
  • हाइपर अंड्रोजेनिस्म की समस्या का होना।
  • त्वचा पर कील मुहासों का आना।
  • अत्यधिक वजन बढ़ना
  • नींद न आने की समस्या होना।
  • अनचाहे अंगों पर बाल आने की समस्या आना – जैसे – चेहरे , पेट इत्यादि
  • गर्भ धारण करने में समस्या आना।
  • बार-बार गर्भपात होने की स्थिति का बनना।

पेल्विक दर्द किसे कहते हैं ?


पेट के निचले हिस्से को पेडू या पेल्विक कहते है। पेल्विक दर्द पेट के सबसे निचले हिस्से में होने वाला दर्द है। पेट के निचले हिस्सों के अंतर्गत मूत्राशय, अंडाशय एवं विभिन्न आंतें आते है। इसमें से किसी भी अंग या आस-पास की हड्डियों या मांसपेशियों में होने वाला दर्द , पेल्विक दर्द कहलाता है।

महिलाओं में मासिक धर्म के समय यह समस्या होना सामान्य समस्या होती है जो थोड़े दिन में चली जाती है। परन्तु यदि यह समस्या ज्यादा दिनों तक रहे या धीरे-धीरे तीव्र हो तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक हो जाता है।


यह समस्या तब आती है जब योनि या गर्भाशय ग्रीवा से बैक्टीरिया गर्भाशय में प्रवेश करते हैं तथा वहीँ रह जाते हैं। महिलाओं में इस समस्या के कारण अंडाशय ( overy ) में सिस्ट बन जाता है। जिसके कारण उन्हें इस दर्द की समस्या होती है।


पेल्विक दर्द के कुछ लक्षण निम्नलिखित है :-

  • मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक दर्द होना।
  • कब्ज़ ( Constipation ) की समस्या का होना।
  • Urination ( पेशाब ) के दौरान दर्द होने की समस्या आने लगती है।
  • Urination ( पेशाब ) में बदबू आने की समस्या का सामना करना।
  • पेट फूलने या गैस बनने की शिकायत होने लगती है।
  • अचानक तेज दर्द महसूस होने लगता हैं।
  • मतली या उलटी आने जैसी समस्या का होना।
  • अत्यधिक पसीना आना या घबराहट होना।
  • बुखार आना या ठंड लगना।
  • Urination ( पेशाब) में खून का आना। इत्यादि।

पीसीओएस में पेल्विक दर्द :-

PCOS की समस्या में पेल्विक दर्द होना एक सामान्य समस्या है। यह ओवेरियन सिस्ट के कारण उत्पन्न दर्द है। PCOS के दौरान ओवरी में सिस्ट बनना एक सामान्य समस्या है। पेल्विक एरिया की “कोर फोर” मांसपेशियां ( डायाफ्राम, मल्टीफिडस, ट्रांसवर्स एब्डोमिनिस और पेल्विक फ्लोर मांसपेशियां) PCOS की समस्या होने पर दर्दनाक रूप से सिकुड़ती है।

पीसीओएस में पेल्विक दर्द का कारण।

पीसीओएस से जुड़े दर्द और उसके होने के कारण , पेल्विक क्षेत्र को प्रभावित करने वाले अन्य स्थितियों एवं कारणों को जन्म दे सकते है। पेल्विक छेत्र में होने वाले सभी प्रकार के तनाव और तनाव के कारण, यह क्रोनिक पेल्विक दर्द सिंड्रोम या पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों के कमज़ोर होने का कारण बन सकता है।

इस प्रकार का दर्द डिम्बग्रंथि अल्सर की उपस्थिति से उत्पन्न होता है (जो कि अल्ट्रासाउंड पर, पीसीओएस का निदान करने के लिए उपयोग किए जाने वाले तीन मुख्य लक्षणों में से एक है )।

महिलाओं में पेल्विक दर्द आमतौर पर पहले मासिक धर्म चक्र के आसपास दिखाई देते हैं। डिम्बग्रंथि अल्सर और क्रोनिक पेल्विक दर्द के अलावा, पीसीओएस के सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं।

पीसीओएस से संबंधित अपरिपक्व फॉलिकल्स सहित कोई भी कूप (Follicle ) , फॉलिक्युलर सिस्ट में विकसित हो सकता है । ओवेरियन सिस्ट अक्सर लक्षणों के साथ नहीं होते हैं और आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाते हैं।

PCOS में पेल्विक दर्द दूर करने के उपाय।


मासिक धर्म के कारण हो रहे पेल्विक दर्द कुछ दिनों में खुद ही चले जाते हैं। परन्तु यदि दर्द ज्यादा दिन तक रहे तो ऐसे में चिकित्सा की आवश्यकता पड़ती हैं। पेल्विक दर्द को शुरू शुरू में घरेलु नुस्खे द्वारा भी नियंत्रित किया जा सकता हैं।

पेल्विक दर्द के उपायों को हम निम्न प्रकार से देख सकते हैं :-


प्रारम्भिक चिकित्सा :-

  • प्रारम्भ में कुछ उपायों द्वारा पेल्विक दर्द को नियंत्रित किया जा सकता हैं।
  • गर्म सेक हीटिंग पैड की सहायता लेकर पेल्विक दर्द को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता हैं।
  • आइबुप्रोफ़ेन जैसी नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं (NSAIDs) की सहायता से दर्द कम किया जा सकता हैं।
  • कुछ साधारण से व्यायाम के द्वारा ।

चिकित्सकीय पद्धति द्वारा :-

  • विभिन्न प्रकार के परिक्षण करवा कर। जैसे – रक्त एवं मूत्र परिक्षण।
  • पेट तथा पेल्विक का एक्सरे करवा कर।
  • हिस्टेरोस्कोपी द्वारा (आपके गर्भाशय की जांच करने की एक प्रक्रिया)।
  • लैप्रोस्कोपी की जाँच करवा कर (एक प्रक्रिया जो आपके श्रोणि और पेट की संरचनाओं को सीधे देखने की अनुमति देती है)।
  • हिस्टेरोस्कोपी की जाँच करवा कर (आपके गर्भाशय की जांच करने की एक प्रक्रिया)।
  • जाँच के बाद आवश्यकतानुसार चिकित्सा करवा कर।

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